कर्ज को इक्विटी में बदलेंगे लेनदार! | देव चटर्जी / मुंबई December 08, 2017 | | | | |
अक्टूबर में रिलायंस कम्युनिकेशंस के साथ प्रस्तावित विलय टूट जाने से चिंतित नुकसान उठाने वाली दूरसंचार कंपनी एयरसेल के लेनदार या तो अपने कर्ज को इक्विटी में बदलने या कंपनी के खिलाफ नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) का दरवाजा खटखटाने पर विचार कर रहे हैं। लेनदारों का कंपनी पर 17,000 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। कंपनी की कर्ज पुनर्गठन योजना पर फैसला लेने के लिए लेनदारों की इस महीने बैठक होने जा रही है और इन्होंने प्रवर्तकों से 4,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त इक्विटी लाने को कहा है।
एयरसेल ने देश के छह महत्वपूर्ण सर्किल से निकलने का फैसला लिया है और अपना ध्यान सिर्फ लाभ वाले सर्किलों पर देने का फैसला लिया है। कंपनी कर्ज पुनर्गठन के लिए लेनदारों के साथ बातचीत कर रही है। कंपनी के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी दी। लेनदारों ने प्रवर्तकों को कंपनी में अतिरिक्त रकम लाने को कहा है ताकि वे इसके खिलाफ एनसीएलटी का दरवाजा न खटखटाएं।
लेनदारों ने कहा कि कंपनी पहले ही कर्ज पर डिफॉल्ट कर चुकी है और कर्ज के बदले अपनी पूरी शेयरधारिता गिरवी रखी है। लेनदारों की चेतावनी ऐसे समय में देखने को मिली है जब कंपनी ने कैलेंडर वर्ष 2016 में 11,630 करोड़ रुपये की परिचालन आय पर 4,319 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया। मौजूदा कैलेंडर वर्ष के आंकड़े भी अच्छे नहीं हैं और बैंकर का कहना है कि कंपनी का नुकसान बढऩे की पूरी संभावना है।
अभी तक मलेशिया की मैक्सिस कम्युनिकेशंस ने कंपनी को 33,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं, लेकिन कंपनी भारतीय बाजार में नाकाम रही, जिसकी वजह रिलायंस जियो की मुफ्त पेशकश के बाद गहराती प्रतिस्पर्धा है। हाल तक अपनी दो सहायकों एसीएल व डीडब्ल्यूएल के साथ एयरसेल सभी 22 सर्किल में 2जी वायरलेस टेलिकॉम सेवा और 13 सर्किलों में 3जी सेवाएं दे रही थी। रिलायंस जियो की पेशकश के बाद यह दूसरी कंपनियों की तरह 2जी कारोबार से बाहर निकल रही है। टाटा टेलीसर्विसेज ने भी वायरलेस टेलीफोनी कारोबार से बाहर निकलने का फैसला लिया है।
लेनदार चिंतित हैं क्योंकि रिलायंस कम्युनिकेशंस के साथ कंपनी का प्रस्तावित विलय नाकाम रहा, जिसकी वजह इसकी प्रवर्तक मैक्सिस के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मुकदमा है, जो इसकी वित्तीय हालात को पटरी से उतार सकता है। विलय से दोनों कंपनियों आरकॉम व एयरसेल को को फायदा मिलता और वे अपना परिचालन एकीकृत कर पातीं और कर्ज चुकाने में भी मदद मिलती। आरकॉम और एयरसेल लिमिटेड ने सितंबर 2016 में आरकॉम के मोबाइल कारोबार के साथ एयरसेल के विलय के लिए बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय में अभी भी मैक्सिस की तरफ से एयरसेल के 2005 में हुए अधिग्रहण मामले की सुनवाई चल रही है, ऐसे में दूरसंचार विभाग ने विलय की अनुमति देने से मना कर दिया।
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