आरसीईपी पर बैठक आज, पूरी तरह तैयार नहीं भारत! | शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली November 13, 2017 | | | | |
भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रस्तावित क्षेत्रीय समग्र आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) की मध्यस्थता कर रहे देशों के प्रमुखों के साथ सम्मेलन में भाग लेने के लिए तैयार हैं, लेकिन इस संबंध में भारत इस समझौते के प्रमुख मुद्दों पर सहमति को लेकर अभी पूरी तरह तैयार नहीं है। मंगलवार को मोदी पहली बार मनीला में आरसीईपी नेताओं की बैठक में हिस्सा लेंगे। वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा कि इसकी समय-सीमा पर कई बार असहमति सामने आने के बाद ये नेता अब इस सौदे को वर्ष 2018 तक अमली जामा पहनाने के लिए प्रतिबद्घ होंगे और निर्णायक सौदे के नियमों को अंतिम रूप देंगे।
हालांकि अधिकारी ने कहा कि यह अभी भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा क्योंकि समझौते का मूल प्रारूप तैयार होने के बाद भी भारत वस्तुओं के व्यापार में शुल्क कटौती और सेवाओं में बाजार पहुंच के मुद्दे पर आसियान ब्लॉक के साथ साथ चीन के भी खिलाफ बना हुआ है। आरसीईपी दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के 10 देशों और 6 अन्य देशों (आसियान के साथ व्यापार समझौते वाले) के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) है। पिछले महीने दक्षिण कोरिया में आयोजित 20वें दौर की वार्ताओं के दौरान सदस्य देश इस मुद्दे पर संयुक्त बयान पर सहमति बनाने में विफल रहे थे। इसकी मुख्य वजह थी वस्तुओं के व्यापार पर दरें कम करने को लेकर असहमति। यह एक ऐसा विषय है जिस पर भारत को अन्य देशों से विरोध का सामना करना पड़ा है।
अब आसियान के नेतृत्व में सदस्य देशों ने मांग की है कि व्यवसाय से जुड़ी लगभग 82 प्रतिशत वस्तुओं पर दरें घटाई जाएं या समाप्त की जाएं। आसियान इस साल के अंत तक आरसीईपी पर ठोस प्रगति चाहता है, क्योंकि यह वर्ष उसकी स्थापना का 50वां वर्ष भी है। आरसीईपी भारत के लिए एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपनी रणनीतिक और आर्थिक हैसियत को मजबूत बनाने के लिहाज से एक अहम मंच माना जा रहा है।
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