लाल निशान में नजर आ रहा कई शेयरों का मूल्यांकन | पवन बुरुगुला और कृष्ण कांत / मुंबई June 30, 2017 | | | | |
सेंसेक्स में शामिल एक तिहाई शेयरों का कारोबार उनके अभी 10 साल के औसत पीई मल्टीपल से एक मानक विचलन (एसडी) से ऊपर हो रहा है, वहीं इनमें से छह का कारोबार 10 उनके 10 साल के औसत मल्टीपल के दो एसडी ऊपर हो रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 10 का मूल्यांकन उनके 10 साल के औसत पीई मल्टीपल से 68 फीसदी ज्यादा है।
एक एसडी से ऊपर कारोबार करने वाला कोई शेयर या सूचकांक लाल निशान वाले क्षेत्र में माना जाता है जबकि लंबी अवधि के औसत से दो एसडी (इसका मतलब औसत से 95 फीसदी ज्यादा) ऊपर को बुलबुला वाला क्षेत्र माना जाता है। दिसंबर 2007 के आखिर में (जनवरी 2008 में हुई भारी गिरावट से ठीक पहले) सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 11 का कारोबार औसत से एक एसडी ऊपर हो रहा था।
मौजूदा समय में दो एसडी या 10 साल के उनके औसत से ज्यादा मूल्यांकन वाले अग्रणी शेयरों में रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईटीसी, एचडीएफसी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और मारुति सुजूकी शामिल हैं। इन शेयरों का सूचकांक में कुल भारांक 40 फीसदी है। सूचकांक का भारांक गैर-प्रवर्तक हिस्सेदारी के बाजार पूंजीकरण पर आधारित होता है। इसकी तुलना में साल 2007 के आखिर में सूचकांक में शामिल सात कंपनियां (जिनका संयुक्त भारांक 27 फीसदी) बुलबुले वाले क्षेत्र में कारोबार कर रही थी।
बेंचमार्क सूचकांक का मूल्यांकन निवेशकों की तरफ से भी समान स्तर का उल्लास सामने रखता है। सूचकांक अभी अपने पिछले 12 महीने की आय के 23.3 गुने पर कारोबार कर रहा है, जो 2007 की आखिरी तिमाही के 25.3 गुने से मामूली कम है, जो बेंचमार्क के लिए सबसे ज्यादा महंगा रहा है। बीएसई मिडकैप इंडेक्स भी सेंसेक्स के पदचिह्नों पर चल रहा है। मिडकैप इंडेक्स का पीई अभी 31.6 गुना है जबकि 2007 की आखिरी तिमाही में यह अब तक के सर्वोच्च स्तर 32.9 गुना था।
ये चीजें ज्यादातर विश्लेषकों को मौजूदा बाजार मूल्यांकन को लेकर असहज बनाती हैं। उन्हें लगता है कि आने वाले समय में बाजार में गिरावट आ सकती है। कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज के संजीव प्रसाद ने हालिया रिपोर्ट में कहा है, लगता है कि निवेशक शेयर कीमत के प्रदर्शन के प्रति आकृष्ट हैं और वित्तीय व परिचालन संबंधी प्रदर्शन से अनजान। बाजार की पसंदीदा कई कंपनियों की प्रति शेयर आय शायद की ऊपर चढ़ी है और कुछ मामले में पिछले पांच साल के मुकाबले घटी है। दूसरी ओर शेयर की कीमतें खासी ऊपर है और इस अवधि में कुछ की तो 100 फीसदी बढ़ी है। काफी लोग कंपनियों के फंडामेंटल में बड़े सुधार पर सवार हैं।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी के संस्थापक व प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम ने कहा, भारतीय बाजारों का मूल्यांकन अनिवार्य रूप से देसी व भूराजनैतिक स्थिरता के आधार पर बढ़ा है। हालांकि कंपनियों की आय मूल्यांकन के अनुपात में नहीं बढ़ी है। उन्होंने कहा, कुछ बड़े क्षेत्र मसलन सूचना प्रौद्योगिकी, दवा और एफएमसीजी ने एक अंक में बढ़त दर्ज की है जबकि फंसे कर्ज के चलते सरकारी बैंक दबाव में हैं। अगर आय में सुधार अगली दो-तीन तिमाही में नहीं होता तो शेयर बाजार में संकट पैदा हो सकता है।
बाजार का मूल्यांकन हालांकि और मजबूत है। बीएसई 500 सूचकांक में शामिल 40 फीसदी कंपनियों (216 कंपनियां) के शेयर का कारोबार उनके 10 साल के औसत पीई मल्टीपल से एक एसडी ऊपर हो रहा है। दिसंबर 2007 के आखिकर में सिर्फ 136 कंपनियां ही ऐसे मूल्यांकन के क्षेत्र में थी। इसके अलावा 216 में से 103 कंपनियों के शेयरों का कारोबार उनके 10 साल के औसत पीई मल्टीपल से तीन से ज्यादा एसडी से ऊपर हो रहा है, जो इक्विटी निवेशकों के बीच छोटी व मझोली कंपनियों के बढ़त के परिदृश्य को लेकर अत्यधिक उल्लास का संकेत दे रहा है।
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