वैश्विक सीमा समझौते पर विचार | शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली February 27, 2017 | | | | |
भारत के व्यापारिक वस्तुओं के आयात व निर्यात और निर्यात की राह में आने वाली विदेशी सीमा शुल्क अधिकारियों की बाधाएं आने वाले दिनों में कुछ कम हो सकती हैं। वाणिज्य मंत्रालय केंद्रीय कैबिनेट के लिए एक प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जिसमें भारत की ओर से वैश्विक परिवहन संधि के तहत वस्तुओं के अंतरराष्ट्रीय परिवहन समझौते का प्रस्ताव होगा। इससे भारत अंतरराष्ट्रीय सीमा पारगमन व्यवस्था में शामिल हो सकेगा और उसे हर वक्त मध्यवर्ती सीमा पार करते वक्त बगैर जांच कराए गंतव्य तक माल पहुंचाने की सुविधा मिल सकेगी। इससे सीमा शुल्क अधिकारियों को जरूरी सुरक्षा और गारंटी मिल सकेगी।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस समझौते के दायरे में 69 देश और यूरोपीय संघ आते हैं और इस समझौते पर हस्ताक्षर होने से वस्तुओं के अंतरराष्ट्रीय पारगमन में लगने वाला वक्त और खर्च बचेगा। उन्होंने कहा कि अन्य देशों के साथ इससे भारत के मध्य एशिया और रूस के बाजारों के साथ होने वाले कारोबार में लाभ होगा, जो कई जमीनी और समुद्री सीमाओं के माध्यम से होता है। इससे निर्यात में लगने वाले वक्त में 3 से 5 दिन की कमी आएगी और इससे लॉजिस्टिक्स लागत में भी खासी कमी आएगी। इस क्षेत्र से होने वाले ज्यादातर कारोबार अभी परंपरागत मार्ग से होते हैं, जो भूमध्य सागर से सेंट पीटर्सबर्ग तक फैले हैं।
पीएचडी चैंबर आफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष अनिल खेतान ने कहा कि निर्यातक अब धीरे धीरे बंदर अब्बास स्थित ईरानी बंदरगाह के माध्यम से माल भेजना शुरू कर रहे हैं, जहां माल उतारा जाता है और उसके बाद ईरान, अजरबैजान और अन्य देशों से होते हुए अफ्रीका और रूस भेजा जाता है। राष्ट्रमंडल के स्वतंत्र देशों (सीआईएस) को कम सेवाएं उपलब्ध होती हैं। वे तेल प्राकृतिक गैस, धातु और खनिजों की आपूर्ति भारत को कर सकते हैं। अप्रैल नवंबर 2016 के दौरान इस क्षेत्र से भारत का कुल कारोबार करीब 9.1 अरब डॉलर का था, जो पिछले साल की समान अवधि के दौरान 9.5 अरब डॉलर था। यहां कारोबार संतुलन भारत के खिलाफ है, जहां निर्यात की तुलना में आयात अप्रैल नवंबर 2016-17 और 2015-15 के दौरान क्रमश: 3.6 अरब डॉलर और 4.7 अरब डॉलर ज्यादा था।
इस इलाके में भारत से दवाओं, अत्याधुनिक मशीनरी, कॉफी, चाय और मसालों का निर्यात होता है। फ्रेट फॉरवर्डर्स एसोसिएशन आफ इंडिया के चेयरमैन जसवत बी शाह ने कहा, 'सरकार के इस कदम से उद्योग जगत को आश्चर्यजनक खुशी हो सकती है, क्योंकि इस समझौते को लेकर जागरूकता बहुत कम है।' कारोबार की राह आसान करने की पहल के हिस्सा के रूप में सरकार मल्टी ट्रांशिपमेंट कानून भी लागू करने की योजना बना रही है। सरकार एक ही जहाज में कार्गो के रीलोडिंग, बड़े से छोटे जहाजों में सामान लादने और विदेशी क्षेत्र से होकर जहाज को गुजरने के लिए अनुमति देने पर पर काम चल रहा है। इस योजना के लागू होने से निर्यातकों के लागत और समय में कमी आएगी, जबकि आयातकों को कानूनी संरक्षण होगा।
वित्त मंत्रालय के तहत आने वाला सीमा शुल्क विभाग इस पहल को आकार देने के लिए जहाजरानी मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है। इस समय अगर नवी मुंबई के न्हावा शेवा पोर्ट पर जहाज से माल उतारा जाता है तो इसे रेल या सड़क मार्ग से कोलकाता या कोच्चि भेजना काफी खर्चीला होता है और इसमें समय भी ज्यादा लगता है। योजना के मुताबिक न्हावा शेवा में जहाज से सामान उतारे जाने के बाद उस जहाज को कोच्चि या कोलकाता जाने की अनुमति होगी या उस जहाज से छोटी जहाज में सामान भरकर भेजा जा सकेगा।
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